एईआरबी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में आयनीकारक विकिरण तथा नाभिकीय ऊर्जा के कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को किसी भी प्रकार का अवांछित जोखिम न हो ।

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लायसेंसीकरण/अनुमति प्रदान करना

नियामक कार्य के लिये ‘अनुमति’ शब्‍द में ‘लायसेंस’, ‘प्राधिकरण’, ‘अनुमोदन’, ‘पंजीकरण’ तथा ‘प्रमाणन’ आदि शामिल हैं।



अनुमति प्रक्रिया में पहले नियामक आवश्‍यकताओं के अनुपालन की जांच के लिये संरक्षा समीक्षा की जाती है तथा संतोषजनक अनुपालन के बाद, स्‍थल चयन, निर्माण, कमीशनन, प्रचालन व विकमीशनन आदि विभिन्‍न चरणों के लिये अनुमति जारी की जाती है।

अनुमति प्रक्रिया के लिये किसी सुविधा या गतिविधि से संबंधित जोखिम के आधार पर क्रमिक विधि अपनायी जाती है। यह क्रमिक विधि, विभिन्‍न सुविधाओं के जोखिम स्‍तर के अनुरूप विभिन्‍न चरणों में पर्याप्‍त संरक्षा समीक्षा सुनिश्चित करती है।

एईआरबी, परमाणु ऊर्जा विभाग की इकाइयों में परमाणु ऊर्जा अधिनियम के खंड 23 तथा फैक्‍ट्रीज़ अधिनियम, 1948 के प्रावधानों को लागू करता है। अत: एईआरबी परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत फैक्ट्रियों को लायसेंस जारी करता है।

विभिन्‍न सुविधाओं व गतिविधियों के लायसेंसीकरण से संबंधित विवरण निम्‍न विस्‍तार-शील योजकों (links) में दिया गया है।
नाभिकीय सुविधाओं का लायसेंसीकरण

नाभिकीय सुविधाओं के लायसेंसीकरण में उनके जीवनकाल के विभिन्‍न चरणों जैसे स्‍थल चयन, निर्माण, कमीशनन, प्रचालन व विकमीशनन आदि के लिये अनुमति जारी की जाती है। इन बड़े चरणों को विभिन्‍न उपचरणों में बांटा जाता है तथा प्रत्‍येक उपचरण के लिये अनुमति आवश्‍यक होती है।

निर्माण की अनुमति

इस चरण में प्रस्‍तावित नाभिकीय सुविधा की डिज़ाइन की समीक्षा भी शामिल हे। इसमें विभिन्‍न तंत्रों, संयंत्र विन्‍यास, संरचनाओं, उनके डिज़ाइन आधार, नाभिकीय तंत्रों, विद्युतीय तंत्रों, यंत्रीकरण व नियंत्रण तंत्रों, संरक्षा तंत्रों, सामान्‍य सेवा तंत्रों तथा अपशिष्‍ट निपटान तंत्रों, विकिरण संरक्षण, रेडियोसक्रिय अपशिष्‍ट प्रबंधन पहलुओं तथा गुणवत्‍ता आश्‍वासन आदि की डिज़ाइन समीक्षा की जाती है।

स्‍थल चयन की अनुमति

स्‍थल चयन की अनुमति के लिये प्रस्‍तावित नाभिकीय सुविधा के लिये स्‍थल की उपयुक्‍तता तथा इंजीनियरीकरण की क्षमता को सुनिश्चित किया जाता है। इस प्रक्रिया में स्‍थल सुविधा की अंतर्क्रिया (संयंत्र का स्‍थल पर प्रभाव तथा स्‍थल का संयंत्र पर प्रभाव) तथा आपाती कार्यवाही लागू करने की उपयुक्‍तता की समीक्षा की जाती है।

संतोषजनक समीक्षा के लिये भूतकनीकी, जलभूगर्भिकी, रेडियोसक्रियता प्रभाव का आकलन प्राकृतिक पृष्‍ठभूमिक विकिरण, मृदा लक्षण, आसपास के क्षेत्रों का मानचित्रण आदि; अध्‍ययन आवश्‍यक होते हैं।

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कमीशनन के लिये लायसेंस/अनुमति

कमीशनन चरण में डिज़ाइन के कार्य निष्‍पादन की जांच आवश्‍यक होती है। इस प्रक्रिया में ये परीक्षण किये जाते है कि डिज़ाइन किये गये व स्‍थापित तंत्र अपेक्षा के अनुरूप कार्य करते हैं। एईआरबी सुनिश्चित करता हे कि सभी संरक्षा तंत्रों व संरचनाओं की जांच व परीक्षा अनुमोदित योजना के अनुसार किया गया है। एईआरबी कमीशनन की अनुमति से पूर्व संरक्षा तंत्रों व संरचनाओं के कार्यनिष्‍पादन की परीक्षण रिपोर्टों की समीक्षा भी करता है।

प्रचालन लायसेंस

संतोषप्रद कमीशनन तथा सुविधा के सुरक्षित प्रचालन के लिये सभी तकनीकी व प्रशासनिक तंत्रों की उपलब्‍धता से आश्‍वस्‍त होने के बाद एईआरबी निर्धारित प्रतिबंधों के साथ प्रचालन लायसेंस जारी करता है। लायसेंसधारक इन्‍हीं प्रतिबंधों के अंतर्गत सुविधा का प्रचालन कर सकता है। संरक्षा समीक्षा व आकलन के एक अंग के रूप में लायसेंस की अवधि के दौरान भी तकनीकी व प्रशासनिक उपायों द्वारा विभिन्‍न पहलुओं का निरंतर मानीटरन किया जाता है। लायसेंस एक निश्चित अवधि (सामान्‍यत: 5 वर्ष) के लिये जारी किया जाता है। इस अवधि की समाप्ति से पहले लायसेंसधारक को एईआरबी द्वारा निर्दिष्‍ट आवश्‍यक विवरण प्रस्‍तुत करके लायसेंस का नवीनीकरण करवाना पड़ता है।

विकमीशनन की अनुमति

विकमीशनन का अर्थ है – सुविधा के जीवनकाल के अंत में कार्मिकों, जनता के स्‍वास्‍थ्‍य व संरक्षा तथा पर्यावरण संरक्षण का ध्‍यान रखते हुए उसे सेवा से निवृत्‍त कर देना अर्थात भविष्‍य में उसका कोई उपयोग न होना। इस कार्य में सुविधा को एक अनुमोदित रणनीति (तुरंत या विलंबित) के अनुसार विघटित करना शामिल है। कार्मिकों, जनता व पर्यावरण की संरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये एईआरबी, सुविधा के इस चरण के लिये लायसेंस जारी करता है।

विकिरण सुविधाओं का लायसेसीकरण

विजिटर काउण्ट: 4920751

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अक्सर देखे गए

कार्यालय का पता

परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद, नियामक भवन अणुशक्तिनगर,, मुंबई 400094, भारत,

कार्य का समय
9:15 से 17:45 – सोमवार से शुक्रवार

वर्ष के सार्वजनिक अवकाशों की सूची