एईआरबी का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में आयनीकारक विकिरण तथा नाभिकीय ऊर्जा के कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को किसी भी प्रकार का अवांछित जोखिम न हो ।

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न्‍यूक्लियानिक गेज

न्‍यूक्लियानिक गेजों से संबंधित आवेदन केवल e-LORA पोर्टल द्वारा ही प्रेषित किये जा सकते हैं।

न्‍यूक्लियानिक गेजों के लिये e-LORA दिशानिर्देश


न्‍यूक्लियानिक गेजों को आयनकारी विकिरण मापन युक्तियां (आईआरजीडी) भी कहा जाता है। कई उद्योगों में इनका विस्‍तृत प्रयोग होता है। ये गेज विश्‍वसनीय अविनाशी मापन के लिये प्रयोग होते हैं तथा उच्‍च तापमान व उच्‍च दाब जैसे प्रतिकूल औद्योगिक पर्यावरण के लिये सर्वथा उपयुक्‍त हैं। इनका प्रयोग इस्‍पात की प्‍लेटों, कागज़ो, फिल्‍मों की मोटाई मापने, पदार्थों के घनत्‍व व संरचना ज्ञात करने, स्‍तर मापने, बंद पात्रों में प्रक्रिया पदार्थों के नियंत्रण जैसे सांचों में स्‍तर मापने, धमन भट्टियों में नमी की मात्रा जानने तथा खनिजों व अयस्‍कों के विश्‍लेषण में किया जाता है।

न्‍यूक्लियानिक गेजों में अधिकतर रेडियोसक्रिय स्रोतों (सामान्‍यत: मिलीक्‍यूरी सक्रियता) का प्रयोग होता है। विकिरण परिरक्षक, उपयोगी बीम नियंत्रण व अन्‍य घटक इसके अभिन्‍न अंग हैं।

देश के लगभग 1800 संस्‍थानों में 9000 न्‍यूक्लियानिक गेजों का प्रयोग निम्‍न प्रकार के उद्योगों में किया जाता है :

  • इस्‍पात, कागज़, फिल्‍म उद्योगों में मोटाई मापनेके लिये;
  • पेट्रोलियम व खनन कंपनियां – तेल, प्राकृतिक गैस, कोयले के भंडारों तथा खनिज़ निक्षेपों की खोज तथा उनकी मात्रा;
  • निर्माण कंपनियां – सड़क निर्माण के पदार्थों के घनत्‍व व नमी की मात्रा नापने के लिये;
  • इलेक्‍ट्रानिक उद्योग – परिपथ बाड़ों व विद्युतीय योजकों में महंगी धातुओं के लेपन की मोटाई नापने के लिये;
  • रासायनिक उद्योग – अभिक्रिया पात्रों में द्रव का स्‍तर जानने तथा पदार्थों के घनत्‍व मापने के लिये;
  • सिगरेट उद्योग – तंबाकू का घनत्‍व नापने के लिये; तथा
  • सीमेंट उद्योग – लाइमस्‍टोन के तात्विक विश्‍लेषण के लिये।

न्‍यूक्लियानिेक गेज दो प्रकार के होते हैं – अचल तथा सुवाह्य

  • अचल गेजों में Co-60 व Cs-137 गामा उत्‍सर्जकों का प्रयोग होता है।
  • सुवाह्य गेजों में गामा/फोटान उत्‍सर्जक Cs-137 तथा न्‍यूट्रान उत्‍सर्जक Am-241/Be, Ra-Be, Cf-252 का प्रयोग होता है।

अचल गैजों का प्रयोग फैक्ट्रियों में उत्‍पादन प्रक्रिया के आन-लाइन मानीटरन तथा गुणवत्‍ता नियंत्रण सुनिश्चित करनेके लिये किया जाता है। उदाहरण के लिये, पेपर मिल में प्रयुक्‍त अचल गेज, दाबक से निकलने वाले कागज/फिल्‍म की मोटाई नापना है। सुवाह्य गेजों का प्रयोग कृषि, निर्माण व सिविल इंजीनियरी कार्यों में मृदा में नमी, एस्‍फाल्‍ट का घनत्‍व जानने के लिये किया जाता है।

चूंकि इन गेजों में रेडियोसक्रिय पदार्थ होता है अत: इन गेजों के स्‍वामित्‍व व प्रयोग का नियमन आवश्‍यक है।

कुछ प्रचालित न्‍यूक्लियानिक गेज तथा उनके पैकेज

उनका नियमन क्‍यों आवश्‍यक है ?

न्‍यूक्लियानिक गेज सुदृढ़ होते हैं तथा उन्‍हें कठोर पर्यावरण स्थितियों को सहन करने की दृष्टि से डिज़ाइन किया जाता है। इस डिज़ाइन में विकिरण संरक्षा लक्षण भी अंतर्निहित है। अत: गेजों के साथ कार्य करने वाले कर्मचारियों तथा आसपास के व्‍यक्तियों को विकिरण उद्भासन मिलने की संभावना नगण्‍य है। साथ ही अधिकतर प्रक्रम नियंत्रण गेज (स्‍तर गेज, घनत्‍व गेज आदि) ऐसे क्षेत्रों में स्थित होते हैं जहां व्‍यक्ति सामान्‍यत: उपस्थित नहीं होते। गेजों का प्रचालन सुदूर हस्‍तन द्वारा किया जाता है।

स्रोतों के उपयोग से संबंधित मुख्‍य संरक्षा खतरा तब आता है जब नियमित रूप से उनकी गिनती नहीं की जाती तथा उनके सुरक्षित भंडारण का उचित प्रावधान नहीं होता। अधिकतर केसों में अचल गेज का स्‍थापना तथा रेडियोसक्रिय स्रोत (यह रेडियोसक्रिय बना रहता है) या उपकरण के उपयोगी जीवनकाल में काफी अवधि होती है। इसके कारण स्रोत की उपस्थिति धीरे धीरे भुला दी जाती है। विकिरण चिह्नें/लेबलों पर धूल या तेल की पर्त जम जाती है। स्रोत युक्‍त गेज स्‍थापना या भंडारण स्‍थल पर पड़ा रहता है। साथ ही प्रबंधक, कार्मिक या संरक्षा कर्मचारी बदल सकते हैं तथा स्रोत को नये व्‍यक्तियों के हवाले करने की उचित विधि का पालन नहीं किया जाता।

जोखि़म की संभावना वाले स्रोतों का एक उदाहरण :

रूई की छटाई व कताई करने वाली वाराणसी की एक कंपनी से एईआरबी अधिकारियों ने कुछ जर्जर स्रोत वापिस लिये। कंपनी के घनत्‍व मापन के लिये ये स्रोत 1998 में लिये थे। कंपनी के प्रबंधक व कर्मचारी बदल गये थे तथा नये प्रबंधकों को स्रोतों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।


इसी प्रकार सुवाह्य स्रोत गुम हो सकते हैं या उनकी चोरी हो सकती है। ये स्रोत ऐसे व्‍यक्तियों के पास पहुंच सकते हैं जिन्‍हें विकिरण स्रोत की कोई जानकारी नहीं है।

गेजों की अवहेलना का अर्थ यह हो सकता है कि वे स्‍क्रैप की तरह से बेच दिये जाये तथा पुन:चक्रण योग्‍य धातुओं में शामिल हो जायें। यदि स्रोतयुक्‍त उपकरण को अन्‍य स्‍क्रैप के साथ गलाया जायेगा तो फाउंड्री तथा उसमें बनी वस्‍तुयें संदूषित हो जायेंगी।


इन उपकरणों के प्रयोग की संरक्षित विधि

उपकरणों की सर्विस व अनुरक्षण केवल मूल निर्माता द्वारा प्राधिकृत एजेंसियोंसे ही करवाया जाये।

विकिरण संरक्षा पर सावधिक प्रशिक्षण प्राप्‍त किया जाये।

विकिरण चिन्ह वाले उपकरणों का ध्‍यान रखा जाये।

सभी गेजों का नियमित आडिट किया जाये

सुवाह्य गेजों के भंडारण तथा तालाबंदी का उचित प्रबंध किया जाये।

गेज को कचरे या स्‍क्रैप में न डाला जाये। ये गैर कानूनी है।

निपटान के लिये (क) आपूर्तिकर्ता के पास वापिस भेजने या (ख) देश में प्राधिकृत निपटान स्‍थल पर भेजने के लिये अनुमति प्राप्‍त की जाये।

आपातकाल कार्य योजना बनायी जाये; आपातकाल के लिये संपर्क व कार्य योजना प्रदर्शित की जाये।

गेजों की निरंतर भौतिक सुरक्षा प्रबंध किया जाये।

एईआरबी के नियमों का पालन किया जाये। एईआरबी की अनुमति के बिना स्रोत रखना गैरकानूनी है। लायसेंसधारक या मुख्‍य कार्मिकों में परिवर्तन की सूचना एईआरबी को दी जाये।

विजिटर काउण्ट: 4921458

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कार्यालय का पता

परमाणु ऊर्जा नियामक परिषद, नियामक भवन अणुशक्तिनगर,, मुंबई 400094, भारत,

कार्य का समय
9:15 से 17:45 – सोमवार से शुक्रवार

वर्ष के सार्वजनिक अवकाशों की सूची

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